नवग्रहों यानी नौ ग्रहों को शांत करने के लिए नवग्रह पूजन ही एकमात्र समाधान है। मानव जीवन में जो भी अच्छा या बुरा प्रभाव पड़ता है उसके पीछे ग्रहों की चाल एक बड़ा कारण है। इन तमाम उतार-चढ़ावों को रोकने के लिए और क्रोधित ग्रह को शांत करने के लिए धार्मिक व पौराणिक ग्रंथों में नवग्रह यानी जीवन को प्रभावित करने वाले समस्त 9 ग्रहों की पूजा करने का विधान है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राशियां 12 होती हैं और प्रत्येक राशि में प्रत्येक ग्रह अपनी गति से चलते हैं। इसे ग्रहों की चाल कहा जाता है। एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने पर भी अन्य राशियों पर उसका सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक जातक में प्रत्येक ग्रह के गुण भी पाए जाते हैं। जैसे सूर्य से स्वास्थ्य, चंद्र से सफलता तो मंगल समृद्धि प्रदान करता है। इसी तरह से हर ग्रह के अपने सूचक हैं, जो हमारे जीवन को कहीं ना कहीं प्रभावित करते हैं और पूजा अथवा अनुष्ठान कराने से हर पीड़ित जातक के महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हुए, उसके रुके हुए काम पूरे हो जाते हैं। शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं। नौकरी, करियर और जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं भी दूर होती है। मंत्रोच्चारण के जरिये इन ग्रहों के प्रभाव को सकारात्मक बनाते हुए, उनकी सही स्थापना की जाती है। इस प्रक्रिया को नवग्रह पूजा या नवग्रह पूजन कहा जाता है।
सूर्यादि नवग्रहों की पूजा उनके वैदिक मंत्रों के साथ पारंपरिक यथा संख्या मंत्र का पाठ करने के साथ षोडशोपचार चरणों के साथ की जाती है। पूजा में हवन और अन्य अनुष्ठान भी शामिल है, जिसमें घी, तिल, जौ और भगवान सूर्य से संबंधित अन्य पवित्र सामग्री व सूर्यादि संख्याओं का मंत्र का पाठ करते हुए अग्नि को अर्पित की जाएगी। जातक की जन्म कुंडली में ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए यज्ञ एक महत्वपूर्ण उपाय है। अधिकतम सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए, वैदिक पूजा सबसे अच्छे मुहूर्त और नक्षत्र अनुसार ही करनी चाहिए ।
प्रमाणित रूप से ग्रहों की दशा-चाल का प्रभाव जातक के ऊपर पड़ता है। इस स्थिति की जानकारी जातक की जन्म तिथि, जन्म स्थान एवं जन्म के समय अनुसार उसकी कुंडली बनाकर की जाती है, जिसमें सभी 9 ग्रहों की दशा का विवरण होता है और उसी के अनुसार यह अनुमान लगाया जाता है कि जातक का भविष्य कैसा रहेगा। यदि जातक की कुंडली में किसी प्रकार का ग्रह दोष होता है तो, वह उसे प्रभावित करता है और व्यक्ति के जीवन में विपरीत परिस्थितियां पैदा करता है। जिस कारण व्यक्ति का आत्मबल टूटने लगता है और उसका जीवन तनाव और चिंताओं से घिर जाता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु, केतु को मिलाकर कुल 9 ग्रह यानी सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु व केतु माने गये हैं । इन सभी ग्रहों के गुणों का समावेश प्रत्येक जातक की जन्मकुंडली में मिलता है। यदि किसी जातक का कोई ग्रह कमजोर हो या दशा अनुसार उनका विपरीत प्रभाव जातक पर पड़ रहा हो तो, उन्हें शांत करने के उपाय भी ज्योतिष शास्त्र द्वारा दिए जाते हैं।
इस पूजा को करने से ग्रहों की नकारात्मकता दूर होती है और व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। इसके साथ ही मानसिक शांति के लिए भी यह पूजा शुभ है।
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